Post Top Ad

कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में पांच राज्यों के चुनाव परिणाम पर खास मंथन नहीं

Share This

10 मई को कांग्रेस की केन्द्रीय कार्य समिति की बैठक हुई। इस बैठक में देश में कोरोना की स्थिति से लेकर हाल में संपन्न हुए पांच राज्यों के चुनाव परिणामों को लेकर मंथन हुआ। पांच राज्यों के 824 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव हुए, लेकिन कांग्रेस को मात्र 70 क्षेत्रों में ही जीत मिली। इस प्रदर्शन पर राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने निराशा जताई। सोनिया ने कहा कि हमें उन कारणों का पता लगाना है, जिनकी वजह से कांग्रेस की इतनी बुरी हार हुई है। इसके लिए वरिष्ठ नेताओं की एक कमेटी बनाने का भी निर्णय लिया।

असल में कांग्रेस को उम्मीद थी कि असम और केरल में पार्टी की सरकार बन जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केरल में लेफ्ट और असम में भाजपा से सत्ता छीनने में कांग्रेस विफल रही। केरल में 140 में से 21 और असम में 126 में से 29 सीटें ही कांग्रेस को मिली। जबकि पश्चिम बंगाल में तो कांग्रेस का खाता ही नहीं खुला। 294 सीटों में से एक भी सीट न जीत पाना कांग्रेस के लिए बेहद शर्मनाक रहा।

तमिलनाडु में डीएमके साथ गठबंधन करने के बाद भी कांग्रेस को सिर्फ 18 सीटें मिलीं। जबकि पुडुचेरी में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। इतने निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी कांग्रेस गांधी परिवार तक ही सीमित रहेगी। 10 मई की बैठक में नए अध्यक्ष को लेकर भी थोड़ा विमर्श हुआ। आमराय थी कि राहुल गांधी को अध्यक्ष का पद स्वीकार नहीं करते हैं तो प्रियंका गांधी वाड्रा को अध्यक्ष बनाया जाए या फिर सोनिया गांधी ही अध्यक्ष बनीं रहें।

बैठक में अध्यक्ष के विषय को एक बार फिर टाल दिया गया। पांच राज्यों की हार पर मंथन भी दिखावा रहा। यह बात अलग है कि अगले वर्ष ही कांग्रेस को उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनावों का सामना करना है। उत्तर प्रदेश में तो प्रियंका गांधी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। प्रियंका गांधी की मेहनत के बाद भी कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पहले की तरह चौथे नम्बर पर ही है। यहां भाजपा के मुकाबले में सपा और बसपा हैं।

हाल ही के पंचायत चुनाव में सपा प्रमुख दल के रूप में उभरी है। बैठक में खुद सोनिया गांधी ने माना है कि कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं है। हमें अपने घर को मजबूत बनाना होगा। कांग्रेस के सामने वरिष्ठ नेताओं का भी अभाव है। ग्रुप 23 बना कर गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम जैसे नेता अलग थलग हो गए हैं, जबकि केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला जैसे नेता फ्रंट लाइन में आ गए हैं।

गांधी परिवार के पास वरिष्ठ नेताओं में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही रह गए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टर अमरेंद्र सिंह अपनी ढपली अलग ही बजाते हैं। मौजूदा समय में कांग्रेस के सामने अनेक राजनीतिक चुनौतियां हैं। कांग्रेस देश के विपक्ष का नेतृत्व करना चाहती है, लेकिन ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, मायावती जैसे नेता राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकारने को तैयार नहीं है।


                                   

                                 Order Now (Kande/Upla)....Click :  https://bit.ly/3eWKt1V

 Follow Us On :

Follow Our Facebook & Twitter Page : (The Found) Facebook Twitter

Subscribe to Youtube Channel: The Found (Youtube)

Join our Telegram Channel: The Found (Telegram)

Join our Whatsapp Group: The Found (Whatsapp)

Follow Our Pinterest Page : The Found (Pinterest)


LifeStyle Articals : Vegan का मतलब क्या है, ये कौन होते हैं?





Others Article :




No comments:

Post Bottom Ad