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कोर्ट के फैसले के बाद जो सवाल रह गया..वो ये, “इन्होनें नहीं तो आखिर बाबरी मस्जिद गिराई किसने थी?”

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बाबरी विध्वंस मामले में वो ही हुआ जो होना था...पिछले साल सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद वैसे किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि इस मामले में किसी भी आरोपी को सजा होगी। खैर कोर्ट ने अपना फैसला दे ही दिया है तो कोई सवाल बचता ही नहीं है, लेकिन अगर पूछा जाए कि बाबरी मस्जिद गिराने में ये लोग दोषी नहीं है तो कौन है? तो इसका जवाब देगा कौन?
क्योंकि ये तो सच है कि बाबरी मस्जिद को गिराया गया लेकिन कोर्ट के फैसले के अनुसार सभी 32 जीवित आरोपी बेगुनाह है और कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट का ये फैसला बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के 28 सालों बाद आया है।
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश एस.के. यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, यह एक आकस्मिक घटना थी। 6 दिसंबर 1992 को गिराई गयी थी बाबरी मस्जिद अयोध्या में बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को गिराए जाने के बाद दो FIR दर्ज कराई गई थी, पहली FIR में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और दूसरी FIR में आठ नामजद लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, इसके बाद जनवरी 1993 में 47 अन्य मुकदमे दर्ज कराए गए थे।
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने केस खत्म करने की दी थी डेडलाइन 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस को दो साल के अंदर खत्म किया जाना चाहिए, ये सीमा अप्रैल 2019 में खत्म हो गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने नो महिने का समय और दिया। और 30 सिंतबर को ये फैसला आ गया। आरोपियों में से 26 लोग कोर्ट में मौजूद रहे जबकि 6 लोग गैरहाजिर CBI ने इस मामले में 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेज सुबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किए। इस केस में कुल 49 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था जिनमें से 17 की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। और जो 32 आरोपी आज जिंदा है उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया है। 32 आरोपियों में से 26 लोग कोर्ट में मौजूद रहे जबकि 6 लोग गैरहाजिर रहे।

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