सरकार ने दूरदराज के गांवों के लोगों को अपार्टमेंट में स्थानांतरित कर दिया है। इनमें से कुछ शहरों और अन्य पुराने गांवों के पास बसाए गए हैं। हालांकि, यह आलोचना की जाती है कि लोगों को चुनने की अधिक स्वतंत्रता नहीं दी गई थी। साथ ही, यह भी कहा जाता है कि गरीबी के लिए पार्टी की नीतियां जिम्मेदार हैं। हालाँकि, 40 वर्षों में बड़े बदलाव देखे गए हैं।
रिपोर्ट ने अर्थशास्त्री डेविड राईनी के हवाले से कहा कि चीन के लोगों ने भी कड़ी मेहनत की है और चेयरमैन माओ की भयानक नीतियों के प्रभाव से बाहर आते हैं। विश्व बैंक ने चीन को ऊपरी-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था में रखा है। हालाँकि, लोगों की आय में बहुत बड़ा अंतर है। पिछले साल, चीन के प्रीमियर ली केकियांग (Premier of the People's Republic of China) ने कहा कि चीन में 600 मिलियन लोगों की मासिक आय अभी भी 1000 युआन या $ 154 है, जो एक शहर में एक घर किराए पर लेने के लिए भी पर्याप्त नहीं है।
चीन में गरीबी रेखा का क्या पैमाना है?
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में ग्रामीण इलाकों में रहने वाला एक व्यक्ति जो प्रतिदिन 2.30 डॉलर से कम कमाता है उसे गरीब माना जाता है। यह मानक 2010 में स्थापित किया गया था और आय के साथ रहने की स्थिति, स्वास्थ्य और शिक्षा को देखता है। विश्व बैंक ने 1.90 डॉलर में गरीबी रेखा खींची है और चीनी रेखा इससे ऊपर है। पिछले साल, Jiangsu प्रांत ने घोषणा की कि उसके 8 करोड़ लोगों में से केवल 1.7 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे थे।
विश्व बैंक के आंकड़े क्या कहते हैं
1990 में, चीन में 75 मिलियन लोग अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे रहते थे, जो इसकी कुल आबादी का दो-तिहाई था। 2012 में यह संख्या घटकर 9 करोड़ और 2016 में 72 लाख हो गई, यानी 0.5% आबादी। विश्व बैंक के आंकड़ों और चीनी सरकार की घोषणा में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन में गरीबी में कमी के पीछे निरंतर आर्थिक विकास है। ज्यादातर फोकस गरीब, ग्रामीण इलाकों पर रहा है।
भारत को चीन से सीखने की जरूरत
भारत और चीन की ग्रामीण संरचना में काफी हद तक समानता है, चीन ने अपने यहां गरीबी हटाने का पूरा फोकस गांवों के विकास पर किया। भारत को भी अगर गरीबी हटानी है तो ग्रामीण भारत के पुननिर्माण की नीतियों पर कार्य करना होगा।
भारत में ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश लोग केवल कृर्षि पर निर्भर है, गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकलना है तो आने वाले सालों में आजीविका के नए साधनों तक लोगों की पहुंच बनानी होगी। बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी हर परिवार तक पहुंचानी होंगी, जैसा कि चीन ने किया है।
गरीबी मिटाने के लिए चीन द्वारा किये गये प्रमुख काम
- चीन में गांवों से शहरों की ओर पलायन को रोका गया और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक प्रगतिको सुनिश्चित किया गया। इसके लिए कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइनाके संगठन,थिंक टैंक्स और विभिन्न रिसर्च एजेंसियों ने ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में लगातार फील्ड सर्वे किए। कृर्षि उत्पादन के पारंपरिक तरीकों को पुनर्जीवित किया गया। कृषि उत्पादन को बाजार से भी लिंक किया गया। इस संबंध में स्थानीय ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए जगह-जगह प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए गए।
- चीन की सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे पर जबरदस्त काम किया है। गांव-गांव में सड़कों और रोजमार्गों, स्कूलों सरकारी हॉस्पिटल्स और मनोरजंन केंद्रों का निर्माण किया गया। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में काफी इजाफा हुआ, बल्कि वहां के लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ। जब किसी क्षेत्र विशेष में एक बड़ीाबादी के जीवन स्तर में सुधार होता है तो उसका समग्र सकारात्मक असर वहां रहने वाले अन्य लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है।
- जिनपिंग सरकार ने इस बात को मबसूस किया कि जब तक ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में निवेश नहीं होगा, तब तक लोगों की आर्थिक स्थिति में कोई उल्लेनखीय सुधार नहीं हो पाएगा। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश के रास्ते तलाशे गए। इसको लेकर आशंकाओं को दूर करने के लिए स्थानीय नेताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी। इससे गरीब और पिछेड़े क्षेत्रों में आजीविका के नए साधन पैदा हुए जिससे आय बढ़ी, ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि आई जिससे गरीबी को कम करने में मदद मिली।
- चीन ने यह साबित किया है कि राजनीतिक कैडर का इस्तेमाल लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने और गरीबी को दूर करने में कितनी खूबी के साथ किया जा सकता है। चीनी नेतृव्य ने इस आइडिया पर काम किया कि चूंकि राजनीतिक कार्यकर्ता गांवों और वहां के लोगों के बार में अच्छे से जानते है। इसलिए उनके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी की मैपिंग की गई। चीन की विशिष्ट राजनीतिक संरचना ने भी गरीबी क्षेत्रों की गरीबी की मैपिंग की गई। चीन की विशिष्ट राजनीतिक सरंचना ने भी गरीबी दूर करने में मददकी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा जो गाइडलाइन तैयार की जाती है, उसका पालन हर स्तर के नेताओं को करना जरूरी होता है। स्थानीय कैडर को भी पार्टी द्वारा चीन में गरीबी मिटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
- पहले गरीबी को मापने का एक ही तरीका था - प्रति व्यक्ति आय। लेकिन मौजूदा सरकार ने गरीबी को मापने के लिए शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवा, और घर की उपलब्धता को पैमाना बनाया गया है। यानी अब केवल वही व्यक्ति या वही परिवार गरीबी रेखा से ऊपर नही है जिसके हाथ में एक निश्चित आय है। बल्कि यह भी देखा जा रहा है कि शिक्षा स्वास्थ्य जैसी जरूरी सामाजिक सुविधाओं तक उसकी कितनी पहुंच है उसके पास घर है या नहीं और उसे रोजगार कितने दिन मिलेगा। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास में निवेश में बढ़ोतरी हुई, जिसकी रोजगार के अवसर बढ़े और गरीबी कम हुई।
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