कर्ण दानवीर था लेकिन जीवन भर भाग्य ने उनके साथ कंजूसी दिखाई। जन्म के साथ ही मां का साथ छूट गया। मां ने बदनामी के डर से कर्ण को जन्म लेने के साथ ही बक्से में बंद करके गंगा में प्रवाहित कर दिया। इससे कर्ण को अपनी वास्तविकता का ज्ञान नहीं हो पाया और यह उसके लिए मृत्यु का कारण बन गया।
गुरु परशुराम जी ने कर्ण को शाप दे दिया कि तुम मेरी दी हुई शिक्षा उस समय भूल जाओगे जब तुम्हें इसकी सबसे ज्यादा जरुरत होगी। शाप की वजह यह थी कि कर्ण ने क्षत्रियों के समान साहस का परिचय दिया था जिससे गुरु परशुराम क्रोधित हो गए क्योंकि उन्होंने क्षत्रियों को ज्ञान न देने की प्रतिज्ञा ली हुई थी। और सत्य भी यही था कि कर्ण एक क्षत्रिय थे और वास्तविकता का बोध नहीं होने की वजह से खुद को सूत पुत्र बताया था।
अर्जुन के हाथों कर्ण की मौत के पीछे दूसरा कारण एक ब्राह्मण का शाप था। एक बार कर्ण अपने रथ से जा रहे थे तेज रफ्तार रथ के नीचे एक गाय की बछिया आ गई जिससे उसकी मृत्यु हो गई। ब्राह्मण ने क्रोध में आकर कर्ण को शाप दे दिया कि जिस रथ पर चढ़कर अहंकार में तुमने गाय के बछिया का वध किया है उसी प्रकार निर्णायक युद्ध में तुम्हारे रथ का पहिया धरती निगल जाएगी और तुम मृत्यु को प्राप्त होगे। महाभारत के निर्णयक युद्ध में कर्ण के रथ का पहिया धरती में धंस गया और इसे निकालते समय अर्जुन ने दिव्यास्त्र का प्रयोग कर दिया। इस समय कर्ण परशुराम जी के शाप के कारण ब्रह्मास्त्र का प्रयोग नहीं कर पाए और मृत्यु को प्राप्त हो गए।
अर्जुन के हाथों कर्ण के मारे जाने की तीसरी वजह कर्ण का महादानी होना था। कर्ण हर दिन सूर्य देव की पूजा करता था और उस समय जो भी कर्ण से दान मांगता था उसे कर्ण दान देते थे। महाभारत युद्ध में अर्जुन की रक्षा के लिए देवराज इंद्र ने कर्ण से भगवान सूर्य से प्राप्त कवच और कुंडल दान में मांग लिया। दिव्य कवच और कुंडल कर्ण दान नहीं करते तो उन पर किसी दिव्यास्त्र का प्रभाव नहीं होता और वह जीवित रहते।
देवराज इंद्र के दिव्यास्त्र का घटोत्कच पर प्रयोग कर्ण की मृत्यु का कारण बना। कवच कुंडल दान के बदले कर्ण को देवराज से शक्ति वाण मिला था जिसका प्रयोग कर्ण ही बार कर सकता था। कर्ण ने इस वाण को अर्जुन के लिए बचाकर रखा था लेकिन घटोत्कच के आतंक से परेशान हो कर कर्ण को शक्ति वाण का प्रयोग घटोत्कच पर करना पड़ गया। अगर ऐसा नहीं होता तो महाभारत के युद्ध का परिणाम कुछ और ही होता।
कर्ण की मृत्यु के पीछे एक बड़ा कारण स्वयं भगवान श्री कृष्ण थे जिन्होंने इंद्र को वरदान दिया था कि वह महाभारत के युद्ध में अर्जुन का साथ देंगे और सूर्य के पुत्र कर्ण पर विजय प्राप्त करेंगे।
कर्ण की मृत्यु अर्जुन के हाथों होने की एक अन्य बड़ी वजह यह थी कि कर्ण दुर्योधन का साथ दे रहे थे जो अधर्म कर था। अधर्म का साथ देने की वजह से कर्ण का वीरगति प्राप्त हुई।
भावुकता भी कर्ण की मृत्यु की वजह बनी। दरअसल महाभारत युद्ध में जब कर्ण सेनापति बने तब कुंती ने कर्ण के सामने उसकी सच्चाई जाहिर कर दी और बताया कि पांडव तुम्हारे भाई हैं। इस बात से कर्ण के अंदर पांडवों के प्रति भावुकता उत्पन्न हो गई और यही भावुकता युद्ध के दौरान उनके लिए घातक बन गई।
Follow Us On :
- Vegan का मतलब क्या है, ये कौन होते हैं?
- Vegan में आप किस तरह का खाना खा सकते है क्या है इसके फायदे और नुकसान
- वीगन आहार अपनाना बच्चों और गर्भवती महिलाओं के साबित हो सकता है खतरनाक
- वीगन डाइट अपनाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है या बुरा, जानिए विशेषज्ञ इस डाइट की क्यों कर रहे है वकालत ?
- उबली हुई चाय की पत्तियों के ये 5 फायदे जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान
- वाइन शराब से बेहतर क्यों है? साथ ही जानिए, वाइन किस-किस चीज से बनाई जाती है
- ‘अजीनोमोटो (Ajinomoto)’ जो आपके खाने का स्वाद तो बढ़ाता है, लेकिन आपकी कीमती जान का दुश्मन भी है
- किसी भी कंपनी में इन कारणों से छोड़ते है लोग नौकरी
- डायबिटीज को इस तरह से किया जा सकता है कंट्रोल..अपनाये ये तरीके
- जी-स्पॉट है क्या और ये होता कहां है, आखिर गूगल भी क्यों नहीं बता पा रहा ?
- बुढ़ापे में रखें इस तरह ध्यान तो हमेशा रहेंगे स्वस्थ, मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए अपनाए ये तरीके...
- कॉफी (Coffee) पीने के फायदे अधिक या नुकसान...
- बुर्के के अलावा मुस्लिम महिलाओं के कई अन्य कपड़ों की भी अक्सर चर्चा होती, जानिए कौनसे है वो ?
- मार्क्सवाद क्या है, दुनिया को इस तरह के विचारों की जरूरत क्यों पड़ी ?
- मार्क्सवाद के मौलिक सिद्धांत : 20 वीं सदी में दुनिया के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करने वाली विचारधारा
- रूस और चीन में मार्क्सवाद, मार्क्सवाद ने दुनिया को कैसे विभाजित किया ?
- भारत में मार्क्सवाद और मार्क्सवादी विचारों का प्रवेश, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना
- दुनिया में ऐसे तानाशाह भी हुए जिन्होनें क्रुरता की सारी हदें पार दी, जानिए कुछ ऐसे ही तानाशाहों के बारें में
- अगर सरदार पटेल नहीं होते तो आज भारत का नक्शा कैसा होता ?
- कहां से शुरू हुआ पाकिस्तान-चीन की दोस्ती का सफर, दोनों की दोस्ती की वजह क्या भारत भी रहा ?
- रामायण काल में अगर ये 5 महिलाएं नहीं होती, तो न भगवान राम होते ना ही रावण
- भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिए गीता के ये 6 उपदेश जीवन को सफल बनाने में करते है मदद
- वाल्मीकि की 'रामायण' और तुलसी दास की 'रामचरितमानस' दोनों ग्रंथों में समानता और अंतर ?
- 'हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद को क्यों मारना चाहता था', जानिए होलिका दहन से जुडी सबसे लोकप्रिय पौराणिक कथा ?
No comments:
Post a Comment