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क्या आपको कलेक्टर या कोई पुलिस अधिकारी थप्पड़ मार सकता है, या मारपीट कर सकता है ?

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देश में फैले कोरोना के कारण लगे कई राज्यों में लॉकडाउन लगा है ऐसे में आम आदमी का जीवन रूक सा गया है, प्रशासन  सख्ती आम आदमी को घर के अंदर रहने को मजबूर कर देती है। लेकिन किसी को कुछ काम से बाहर जाना हो या फिर कोरोना टेस्ट कराना हो या फिर वैक्सीन लगवानी हो तो सड़कों पर पुलिस की सख्ती का सामना करना पड़ता है।

हाल ही कई ऐसे वीडियों सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिनमें प्रशासन कभी जनता के अभ्रद व्यवहार करते नजर आये तो कहीं डीएम थप्पड़ जड़ते देखे गए। हालाकि इनके बाद सरकार की तरफ से उन पर कारवाई भी हुई। लेकिन इन सब के बीच कई सवाल उठ खड़े हुए कि क्या कोई अधिकारी या पुलिस वाला आपको थप्पड़ मार सकता है? तो इस सवाल का जवाब ये है कि

क्या कोई अधिकारी या पुलिस आपको थप्पड़ मार सकता है?

इस प्रश्न का उत्तर यह है कि कोई भी सरकारी अधिकारी चाहे वह जिले का कलेक्टर ही क्यों न हो, आपके साथ बल प्रयोग नहीं कर सकता। नियमों का उल्लंघन करने पर भी पुलिस या सरकारी अधिकारी कानून के तहत कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन कानून मारपीट की इजाजत नहीं देता।

इसके अलावा, अगर आपके शहर में इस समय लॉकडाउन है, लेकिन आपके पास बाहर निकलने का एक अच्छा कारण है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति घर में बीमार है और उसे अस्पताल ले जाने या बाहर से दवा लेने की आवश्यकता है, तो ऐसी स्थिति में आप बाहर जा सकते हैं।

यह छूट सरकार देती है। लेकिन अगर पुलिस जांच करती है और पाती है कि आपके द्वारा दी गई जानकारी गलत है और आपने झूठ बोला है, तो आपके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि इस स्थिति में भी कोई सरकारी अधिकारी आपकी पिटाई नहीं कर सकता। 

कानूनी बल के प्रयोग की अनुमति कब

यदि पुलिस अधिकारी के पास आपको गिरफ्तार करने का वारंट है, या यदि आप किसी सरकारी अधिकारी के काम में बाधा डालते हैं, तो ऐसी स्थिति में वह बल प्रयोग कर सकता है। ऐसे में कानून बल प्रयोग को उचित मानता है। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन जाता है या उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो बल का प्रयोग भी किया जा सकता है।

मारपीट करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करें

अगर कोई पुलिसकर्मी या कोई सरकारी अधिकारी आपके साथ दुर्व्यवहार करता है तो आप उस पुलिसकर्मी या अधिकारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 504, 506 और 330 के तहत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।

अगर आपकी थाने में एफआईआर दर्ज करने से मना किया जाता है तो आप सीआरपीसी की धारा 200 के तहत जिले के डीएम को भी शिकायत भेज सकते हैं। इस शिकायत पर डीएम आरोपी पुलिसकर्मी या अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू कर सकते हैं।

लेकिन अगर आपको जिले के कलेक्टर डीएम के खिलाफ शिकायत करनी है तो भी आप थाने जा सकते हैं, इसके अलावा जिस कलेक्टर के खिलाफ वह शिकायत करता है, वह कभी भी अपने खिलाफ जांच नहीं कर सकता। ऐसे में जांच दूसरे जिले के कलेक्टर या उसी रैंक के अधिकारी को सौंप दी जाती है।

आप मानवाधिकार आयोग से भी शिकायत कर सकते हैं

इसके अलावा आप इस मामले को राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण तक भी ले जा सकते हैं। इसका गठन वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि प्रशासनिक शक्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक प्रणाली और विभाग होना चाहिए, जहां आम नागरिक व्यवस्था में बैठे लोगों के खिलाफ आवाज उठा सके।

इसके अलावा आप राज्य राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत कर सकते हैं। हालांकि देश में हुई इन घटनाओं के बाद हमारे देश के बड़े सरकारी अधिकारियों के व्यवहार पर भी सवाल उठने लगे हैं।

लेकिन हमें ये समझना होता है कि कोई भी आईएएस अधिकारी एक दिन की मेहनत से नहीं बनता। बल्कि उसे साबित करना होता है कि वह हर परिस्थिति के लिए तैयार है। एक आईएएस अधिकारी से हमेशा उच्च स्तर के व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। और ऐसी घटनाएं बड़ा सवाल खड़ा कर देती है।

देश का आईएएस अधिकारी बनने के लिए किसी भी छात्र को यूपीएससी की 32 घंटे की परीक्षा और इंटरव्यू से गुजरना पड़ता है। लेकिन 32 घंटे की इस परीक्षा को पास करने के लिए कई छात्र अपने जीवन के कई साल बिता देते हैं। यानी यह परीक्षा देश को न केवल एक आईएएस अधिकारी देती है, बल्कि इस परीक्षा से हमें जो अधिकारी मिलते हैं, वे इस देश की व्यवस्था को चलाते भी हैं। और व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है।




                           

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