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दुनिया में बुजुर्ग होती आबादी ने चिंता में डाला, कई देश ले रहे इस तरह के इंसेंटिव ?

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दुनिया में बुजुर्ग होती आबादी ने चिंता में डाला, कई देश ले रहे इस तरह के इंसेंटिव ?

(दुनिया की बुजुर्ग होती आबादी world's aging population) : दुनिया लंबे समय से लंबी उम्र पाने के लिए तरह-तरह के प्रयोग करती रही। अब औसत जीवनकाल तो बढ़ गया है लेकिन इसके साथ एक गंभीर मुश्किल आ चुकी है। लोग शादी और संतानोत्पत्ति से कतरा रहे हैं। ऐसे में दुनिया के कई देश सुपर-एज्ड (Super-aged nations) हो गए हैं, यानी जहां आबादी का 20% से ज्यादा हिस्सा 65 पार के लोगों का है। इसके साथ ही युवा आबादी तेजी से घट रही है।

  • क्या कहती है रिसर्च

बुजुर्गों पर स्टडी करने वाली संस्था जेरोन्टोलॉजिकल सोसायटी ऑफ अमेरिका के मुताबिककई देश सुपर-एज्ड हो चुके तो कई इसके मुहाने पर खड़े हैं। जैसे जापान और जर्मनी में हर 5 में से 1 व्यक्ति 65 या इससे ज्यादा आयु का है। वहीं साल 2030 तक अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और सिंगापुर भी इस श्रेणी में आ जाएंगे।

जापान की हालत सबसे ज्यादा चिंताजनक है, वहां की औसत आयु 84 के साथ दुनिया में सबसे शानदार है। लेकिन इससे वहां की तस्वीर बेहतर की बजाए बिगड़ती दिख रही है। दरअसल बुजुर्ग आबादी बढ़ने के कारण देश पर कई नकारात्मक असर दिख रहे हैं। इससे देश पर पेंशन का दबाव भी बढ़ा है। इसके अलावा काम करने वाली आबादी कम हो रही है।

एक्सपर्ट इस देश को डेमोग्राफिक टाइम बम पर बैठा मान रहे हैं। बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर जोड़ों ने संतान जन्म पर ध्यान नहीं दिया तो अगले 20 सालों में यहां की 35 प्रतिशत आबादी 80 साल से ज्यादा आयु वालों की होगी। वहीं अगले 5 ही सालों में यानी 2025 तक जापान का हर 3 में से 1 इंसान 65 साल की उम्र से ज्यादा का होगा।

इसके बाद जर्मनी का नंबर आता है

यहां की 21.8% आबादी की उम्र 65 या इससे ज्यादा है। ये आंकड़ा साल 2019 का है। इसके साथ ही युवा आबादी तेजी से घटी। लगबग 15 से 64 साल के लोगों की संख्या साल 2005 से 2015 के बीच लगभग 3 प्रतिशत घटी लेकिन अब ये प्रतिशत ऊपर जा रहा है। अनुमान है कि साल 2050 तक ये युवाओं में कमी का प्रतिशत 22.6 तक चला जाएगा।

चीन में वन-चाइल्ड पॉलिसी 

चीन हालांकि अभी सुपर-एज्ड देशों की श्रेणी में नहीं आया लेकिन वहां एक-बच्चा नीति का असर आबादी पर दिख रहा है। चीन की जनगणना के मुताबिक साल 2020 में यहां 18.7% लोग 60 साल से ज्यादा उम्र के थे। ऐसे में जल्दी ही परिवार बढ़ाने पर ध्यान न दिया गया तो चीन की बड़ी आबादी बुजुर्ग होगी। यही देखते हुए चीन ने अब तीन-बच्चा नीति को मंजूरी दे दी है।

सिंगापुर

अब बात करते हैं सिंगापुर की, तो केवल 3 ही दशकों में ये देश युवा मुल्क से सीधे उम्रदराज लोगों के देश में बदल गया। साल 1999 में यहां केवल 7% लोग 65 से ऊपर की आयु के थे लेकिन 2026 तक ये आबादी सीधे 20% हो जाएगी, यानी सिंगापुर भी सुपर-एज्ड देशों में शामिल होगा।

  • भारत की क्या है स्थिति 

भारत को दुनिया का सबसे ज्यादा युवा देश माना जा रहा है। दुनिया का हर पांचवां युवा भारतीय है। यूएनडीपी (UNDP) के मुताबिक, दुनिया में 121 करोड़ युवा हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 21 प्रतिशत लोग भारत से हैं। हमारे यहां 15 से 30 साल की उम्र के लोगों को युवा श्रेणी में रखा जाता है, इस लिहाज से हमारी लगभग 27 प्रतिशत आबादी युवा है।

  • एक देश ऐसा भी : बच्चे पैदा करने के लिए डेढ़ साल तक पूरी तनख्वाह के साथ छुट्टी 

बाल्टिक देश एस्टोनिया ने भी बड़ी पहल की। ये पहले सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था। साल 1991 में ये रूस से अलग हुआ। इस दौरान कई आर्थिक-सामाजिक बदलाव हुए। इसका नतीजा वहां की जन्मदर पर हुआ। एस्टोनिया में जन्मदर तेजी से घटी। इसे रोकने के लिए अब वहां बच्चे के जन्म के डेढ़ साल तक पूरी तनख्वाह के साथ छुट्टी दी जाती है। साथ ही सरकार तीन या ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को इनाम देती है। उन्हें हर महीने 300 यूरो का मासिक बोनस मिलता है।

जापान सरकार दे रही इंसेंटिव

इधर सुपर-एज्ड आबादी के खतरों से घबराकर देशों ने अपने यहां जनसंख्या बढ़ाने पर फोकस किया है। इस इंसेंटिव को बेबी बोनस कहा जाता है। जैसे जापान सरकार ने 35 साल तक की उम्र के कपल के शादी करने पर उनके लिए 4 लाख 25 हजार रुपए इंसेंटिव देने का एलान किया। कुछ शर्तें भी हैं, जैसे शादी करने वाले जोड़े की उम्र 40 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और उनकी सालाना आय 33 लाख रुपए से ज्यादा नहीं हो।

इस देश के एक गांव ने सबको डरा दिया

यूरोपियन देश फिनलैंड के कई प्रांत बेबी बोनस देने की शुरुआत साल 2013 में ही कर चुके। वहां घटती जन्मदर को देखते हुए ये एक्शन लिया गया। खासकर एक गांव लेस्टिजारवी एक तरह से फिनिश सरकार के लिए अलर्ट था। वहां साल 2012 में एक गांव में केवल एक बच्चा जन्मा, जबकि गांव युवा जोड़ों से भरा हुआ था। तब नगरपालिका ने बेबी बोनस नाम से इंसेंटिव प्रोग्राम की शुरुआत की। इसके तहत हर बच्चे के जन्म पर पेरेंट्स को अगले 10 सालों तक 10 हजार यूरो दिए जाते हैं।

                           

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