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कभी भारत की शान हुआ करते थे ये किले, आजादी के बाद चले गए पाकिस्तान के हिस्से

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1947 में जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो कई चीजें ऐसी थीं जो सीमा रेखाओं में बांट दी गई थी, आज पाकिस्तान में कई ऐसे किले और महल हैं, जिनका निर्माण भारतीय शासकों ने किया था, लेकिन विभाजन के बाद वे पाकिस्तानी शासन के अधीन हो गए और पाकिस्तान के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन चुके ये शानदार किले विभाजन के बाद पाकिस्तान की शान बन गए।

तो आइए जानते हैं पाकिस्तान के कुछ ऐसे किलो के बारे में जो कभी भारत का हिस्सा हुआ करते थे।

  • उमरकोट का किला

उमरकोट को पहले अमरकोट के नाम से जाना जाता था। पाकिस्तान के सिंध में स्थित इस किले का निर्माण राणा अमर सिंह ने 11वीं शताब्दी में करवाया था, यह किला कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था। यह किला सिंध पाकिस्तान में स्थित है। और इस पर सोडा राजवंश राजपूतों का शासन था। आपको बता दें कि इसी किले में अकबर का जन्म भी हुआ था।

क्योंकि जब शेर शाह सूरी ने 15 अक्टूबर 1542 को हुमायूँ पर हमला किया, तो पराजित होकर हुमायूँ शरण के लिए भटक गया और अमरकोट पहुँच गया, तब राणा ने आश्रय दिया जहाँ बाद में अकबर का जन्म हुआ।

1947 तक उमरकोट राजपुताना का हिस्सा था, लेकिन आजादी के बाद यह पाकिस्तान चला गया लेकिन आज भी अमरकोट की बागडोर राजपूत के वंशज राणा मेघराज सिंह के हाथ में है।

  • दरवाड़ किला

डेरा नवाब साहिब, बहावलपुर, पाकिस्तान में स्थित दरवाड़ किला विभाजन से पहले भारत का हिस्सा था। दरवाड़ किला बहावलपुर के डेरा नवाब साहिब से 48 किलोमीटर दूर है। इस किले की दीवारों की ऊंचाई 30 मीटर है। यह किला चोलिस्तान के रेगिस्तान से दूर से ही दिखाई देता है।

इसे जैसलमेर के राजपूत राजा झज्जर भाटी ने बनवाया था। जो पाकिस्तान के कब्जे से पहले शाही परिवार का महल हुआ करता था। किले की सुंदरता और भव्यता को देखकर हर कोई इसके निर्माता की सल्तनत का अंदाजा लगा सकता है।


  • बाला हिसार किला, पेशावर

पेशावर, पाकिस्तान में स्थित बाला हिसार किला बहुत प्रसिद्ध किलों में से एक है। "बाला हिसार" एक फारसी शब्द है, जिसका अर्थ है ऊंचा या महान किला। बाला हिसार का किला अफगान राजाओं ने उनके ठहरने के लिए बनवाया था, जिसका नाम उन्होंने बाला हिसार रखा।

यह किला हिंदू मुस्लिम और सिख साम्राज्यों का गवाह रहा है। इस किले को सिक्खों द्वारा दिया गया नाम 'सुमेर गढ़' भी कहा जाता है। क्योंकि जब सिख के एक महान योद्धा हरि सिंह नलवा ने इसे जीता था, तो इसका नाम सुमेर गढ़ रखा गया था।

  • अल्तीत फोर्ट, करीमाबाद

पाकिस्तान का यह किला लगभग 900 साल पुराना है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान की हुंजा घाटी करीमाबाद में स्थित है। यह किला हुंजा राज्य के राजाओं का किला था। एक समय में यह किला बेहद खराब स्थिति में पहुंच गया था।

जिसे बाद में आगा खान ट्रस्ट ने नॉर्वे और जापान की मदद से ठीक किया। आपको बता दें कि यह महल भी कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन बंटवारे के बाद इसे पाकिस्तान की शान माना जाता है।

  • फैज महल - सिंधी

फैज महल पाकिस्तान के सबसे खूबसूरत महलों में से एक है। खैरपुर के शाही परिवार द्वारा वर्ष 1798 में निर्मित, 200 साल पुराने इस महल को अमरगढ़ किले के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि तालपुर के बादशाह भी इसी महल में अपना शाही दरबार लगाते थे।

  • सादिक गढ़ पैलेस, बहावलपुर

पाकिस्तान के बहावलपुर में स्थित सादिक गढ़ पैलेस पाकिस्तान के सबसे प्रसिद्ध और खूबसूरत किलों में से एक है। इस किले का निर्माण 1882 में बहावलपुर के राजा नवाब सादिक मुहम्मद ने करवाया था। यह किला चारों तरफ से लंबी दीवारों और बगीचों से घिरा हुआ है। यह किला दिखने में बेहद खूबसूरत है।

  • रोहतास का किला, झेलम

इस किले को शेर शाह सूरी ने 1540-1547 ई. के बीच बनवाया था। बता दें कि किले के निर्माण में 30 हजार मजदूरों को लगाया गया था। रोहतास किला झेलम शहर के दीना टाउन के पास स्थित है, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के झेलम शहर के पास स्थित है। यह किला अपनी ऊंची दीवारों और कई द्वारों के लिए जाना जाता है।

सीढ़ीदार दीवारों और करीब 12 द्वारों वाले इस महल को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से यहां आते हैं। इस किले को 1997 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।

  • नूर महल, बहावलपुर

बहावलपुर में स्थित नूर महल ब्रिटिश काल का है और इस महल की संरचना इटली के महलों के समान है। बता दें कि पाकिस्तान की संपत्ति बन चुके इस महल को अब गेस्ट हाउस के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

 

                           

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