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पाकिस्तान की वो घाटी जो रहस्यों से भरी है, वैज्ञानिक भी नही खोज पा रहे इसका राज

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ये दुनिया जितनी बड़ी और खूबसूरत है उतनी ही रहस्यमय भी, यहाँ मौजूद हर चीज़ में छुपा होता है एक रहस्य। ऐसी ही एक रहस्यमय घाटी के बारे में आज हम आपको बताएंगे, जो मौजूद है हमारे ही पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में। 

यहां औसतन व्यक्ति की उम्र 70 साल होती है और पाकिस्तान में औसतम व्यक्ति 67 साल तक जीवित रहते है। पर नॉर्थ पाकिस्तान की हुंजा वैली में लोग 120 साल से लेकर 150 साल तक जिंदा रह सकते हैं जो कि आश्चर्यजनक है। यहाँ हुंजा समुदाय के लोग रहते है।

 हुंजा समुदाय के लोगों का इतनी ज़्यादा उम्र तक जीवित रहने का रहस्य अब भी दुनिया के सामने नहीं आया है। यहाँ के लोगों की सेहत का राज भी किसी को नहीं पता, दुनिया के लोग और वैज्ञानिक भी इस राज को जानना चाहते है।

 विशेषज्ञ मानते है कि यहाँ के लोग आईसोलेट रहते है और एक अलग प्रकार की जीवनशैली अपनाते है जिनमें शामिल खास आदतों की वज़ह से वो अधिक सेहतमंद रहते है।



यहाँ के लोगों को नहीं होती गंभीर बीमारियां

कहा जाता है हुंजा समुदाय के लोग ज्यादा उम्र तक बच्चे पैदा कर सकते हैं , जो कि आम बात नहीं है। यहाँ के लोग बीमार नहीं होते और किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से मुक्त रहते है। एक रिपोर्ट के अनुसार, हुंजा समुदाय की महिलाएं 60 से 90 वर्ष की आयु तक गर्भधारण कर सकती हैं। वहीं आम औरतों की गर्भधारण की उम्र मात्र 51 वर्ष तक मानी जाती है ऐसे में हुंजा समुदाय बेहद असाधारण है।


नेचर के बेहद करीब और आधुनिकता मुक्त है ये घाटी

हुंजा घाटी उत्तर पाकिस्तान के एक सुनसान इलाके में स्थित है। यहाँ किसी प्रकार का आर्टिफिशियल फ़ूड नहीं खाते। यहाँ के लोग अधिकतर दूध , सब्जियां , अनाज , और फलों का सेवन करते है, यहाँ मोजूद ग्लेशियर का सुद्ध पानी इनके पीने के साथ साथ नहाने के भी काम आता है। 

हुंजा समुदाय के लोग खूबानी फल को बहुत शौक से खाते हैं। माना जाता है कि इस फल के जूस को पीकर वहां के लोग कई महीनों तक जिंदा रह सकते हैं, इस फल में ऐसे गुण होते है जिसकी वज़ह से व्यक्ति को कैंसर जैसी भयानक बीमारी भी नहीं हो सकती। आधुनिकता से दूर इस इलाके की हवा भी बेहद शुद्ध है।



फिट रहने के लिए करते है योगा

हुंजा समुदाय के लोग मानसिक और शारीरिक शक्ति को बेहद महत्व देते है। यहाँ के लोग नियमित रूप से योगा करते हैं जिसमें सांस लेने की टेक्निक और ध्यान भी शामिल होता है। हुंजा समुदायी एनर्जी मैनेजमेंट और रिलैक्सेशन पर भरोसा करते हैं। ये लोग आराम को भी प्राथमिकता देते है और लगातार काम करने को सही नही मानते। ये लोग इमोशनल स्ट्रेस को बढ़ाने वाली चीजों से दूर रहते हैं। 

हाॅलीवुड फिल्म में हो चुका है घाटी का जिक्र

1930 में आई हाॅलीवुड फिल्म लॉस्ट होराइजन में हुंजा समुदाय का जिक्र था। फिल्म जेम्स हिल्टन के एक नॉवेल पर बेस्ड है और इसमें शांगरी-ला को पहली बार दिखाया गया था। फिल्म में अंग्रेजी सेना चीन से आते समय हिमालय के क्षेत्र में आकर रुक जाती है। सेना बर्फीले तूफान की वजह से हुंजा में शरण लेती है जहाँ उनकी पहचान यहाँ के लोगों से होती है.


रहस्यों से भरी है ये जग़ह और यहाँ के लोग

हुंजा घाटी दुनिया से बहुत दूर है और यह समुदाय रहस्यों से भरा हुआ है। मानते है कि आज भी यहां पर परियां रहती हैं। लोगों का मानना है कि हुंजा वैली के आसपास आज भी परियां रहती हैं और जो एंजेल्स बनकर यहाँ के लोगों की हर खतरे से रक्षा करती है। 

भेड़, बकरियां चराने वाले चरवाहों के मुताबिक, ऊंचाई वाली जगहों पर जाने पर परियों की आवाज उन्हें सुनाई देती है। यहां के एक व्यक्ति ने एक इंटरव्यू में बताया, कि परियां इंसानों जैसी ही दिखती हैं और सुनहरे बाल और हरे रंग के कपड़े पहनती है। 


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1 comment:

narcisohaab said...

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