Post Top Ad

कल है महाअष्टमी , जानिए शुभ मुहूर्त, कन्या पूजन का महत्व

Share This

देश में नवरात्र की धूम है , नवरात्र का पर्व नारी शक्ति का पर्व है। इस पर्व में माँ दुर्गा के भक्त नौ दिन व्रत रहते है औए इसलिए नवरात्र में महाअष्टमी और महानवमी का विशेष महत्व होता है। इन दोनों दिन विशेष पूजा , हवन और कन्यापूजन होता है जिसकी समाप्ति पर उन्हें भोजन करवाया जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल अष्टमी तिथि 12 अक्टूबर रात 9 बजकर 47 मिनट से 13 अक्टूबर रात्रि 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगी। वहीं नवमी तिथि 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 7 मिनट से लेकर 14 अक्टूबर शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। मूहर्त के अनुसार इस दौरान ही कन्यापूजन और कन्याभोज सबसे शुभ होगा।


नवरात्र पर्व में माँ शक्ति की आराधना में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कहते है कि लड़कियां देवी का रूप होती है और नवरात्र देवी का पर्व है। इसी कारण से अष्टमी और नवमीं के दिन कन्याओं को देवी मानकर उनकी पूजा की जाती है। इन 9 दिन भक्त अपनी आस्था और सुविधा के अनुसार कन्याओं की पूजा करते हैं, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करना बेहद आवश्यक माना जाता है। नवरात्र की समाप्ति में भक्त अपनी नौ दिनों की पूजा पूरी होने के बाद हवन करके कन्याओं को भोजन कराकर अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि और उन्नति की कामना करता है।


 शास्त्रों में 2 वर्ष से 11 वर्ष तक की छोटी लड़कियों की पूजा का विधान है। ऐसी कन्याओं को देवी माना जाता है और ये कुमारी होती है। ऐसी कन्याओं की पूजा करने से भक्त को सारे कष्ट से निवारण मिलता है साथ ही माँ दुर्गा हर प्रकार की परेशानी तकलीफ़ और दरिद्रता दूर कर सुख समृद्धि लाती है। नवरात्र में व्रत रखना , माता के पाठ करना , देवी की पूजा अर्चना करने ,हवन और कन्यापूजन से अनेक फल मिलते है। 

बता दें कि तीन वर्ष की कन्या को त्रिमुर्ति बुलाया जाता है और इनकी पूजा करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। वही चार वर्षीय कन्या को कल्याणी कहते है जिसकी आराधना से सुख-समृद्धि आती है। पांच साल की कन्या रोहिणी होती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को बीमारियों से छुटकारा मिलता है वहीं छह साल की लड़की को कालिका स्वरूप कहा जाता है। इनकी पूजा करने से ज्ञान और जय मिलता है। सात वर्षीय कन्या को चंडिका रूप माना जाता है। इनकी पूजा करने से पैसे की प्राप्ति होती है। आठ वर्ष की कन्या को शाम्भवी कहते है और नौ वर्षीय कन्या को दुर्गा माना जाता है और इनकी पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। इनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

जैसे किसी भी कार्य की शुरुआत में गणेश पूजन अतिआवश्यक है। उसी प्रकार शास्त्रों में लिखा है कि किसी भी शुभ कार्य का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन करना आवश्यक है। कन्या की पूजा करने से यश, कीर्ति, वैभव, धन और ज्ञान की प्राप्ति होती है, इसके अलावा कन्यापूजन से शक्ति मिलती है , भय दूर होता है और तो और शत्रुओं का भी नाश होता है। मान्यता है कि कन्या पूजन से बड़ा कोई पूण्य नहीं है और कोई अन्य पूजन इसके बराबर फल नहीं दे सकता। कहा जाता है कि कन्या को देवी का स्वरूप मानकर उनकी आराधना करने से यश ,ऐश्वर्य , भोग , मोक्ष, धर्म, अर्थ, काम, राजपद, सिद्ध, शिक्षा, सिद्धि, साम्राज्य, धन की प्राप्ति होती है और यदि आप 9 कन्या की पूजा अर्चना करते हो तो पूरी पृथ्वी पर प्रभुत्व प्राप्त होता है। इसलिए नवरात्रि में नौ दुर्गा और नौ कन्या की पूजा का विशेष महत्व है।


Follow Us On :

Follow Our Facebook & Twitter Page : (The Found) Facebook Twitter

Subscribe to Youtube Channel: The Found (Youtube)

Join our Telegram Channel: The Found (Telegram)

Join our Whatsapp Group: The Found (Whatsapp)

Follow Our Pinterest Page: The Found (Pinterest)

                           Order Now (Kande/Upla)....Click :  https://bit.ly/3eWKt1V

 


LifeStyle 

History




Article :



No comments:

Post Bottom Ad