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एसिड अटैक मामलों की पड़ताल करती हुई निकाली डिजिटल पत्रिका, शॉर्ट फिल्म का भी किया निर्माण

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- देश में एसिड अटैक की शिकार युवतियों व महिलाओं से फोन पर किया साक्षात्कार

- निर्भया की मां से भी की बातचीत, पद्म श्री पुरस्कार विजेता के लेख शामिल

- प्लास्टिक सर्जन, शिक्षाविद् व विद्वानों के विचारों को भी दिया है स्थान

- डिजिटल पत्रिका के विषय से संबंधित बनाई एक शॉर्ट फिल्म कसूर

दृढ़इच्छाशक्ति और भगीरथ प्रयास से असंभव को भी संभव किया जा सकता है। इन पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया है कुछ उभरते नवोदित पत्रकारों ने। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान आपदा को अवसर में बदला है। इस कोरोनाकाल में भी इन युवा पत्रकारों ने साहस का दामन नहीं छोड़ा है और एसिड अटैक मामलों की पड़ताल करती हुई एक डिजिटल पत्रिका इंडियन फोर्थ एस्टेट का प्रकाशन किया है। पत्रिका की मुख्य संपादक पत्रकारिता की छात्रा स्तुति बाफना हैं। उन्होंने बताया कि यह पत्रिका उन पीड़िताओं और महिलाओं व युवतियों की दर्दनाक आवाजों और चीखों का एक दस्तावेज है जिसे समाज ने सुन कर भी अनसुना कर दिया। इंडियन फोर्थ स्टेट पत्रिका के इस एसिड अटैक मामले के विशेष अंक को प्रकाशित करने के लिए नवोदित पत्रकारों की टीम ने न सिर्फ एसिड अटैक पीड़िताओं से फोन पर बात की है बल्कि उन्होंने प्लास्टिक सर्जन से बात कर के उनके लेख को भी शामिल किया है। इसके साथ ही उन्होंने मनोचिकित्सकों, विद्वानों और ऐसे मामलों को कवर करने वाले पत्रकारों के लेखों को भी इस पत्रिका में लिया है।

स्तुति बाफना
स्तुति के मुताबिक कानून ही सब कुछ नहीं कर सकता है। जन-जागरुकता भी बहुत जरुरी है। उन्होंने बताया कि अधिकतर मामलों में एकतरफा प्रेम में असफल हुए युवक ही इस तरह की घटना को अंजाम देते हैं जिसके पीछे एक बड़ी साजिश होती है। उन्होंने बताया कि लोगों को जागरुक करने और इस मामले से गहरे तक परिचित कराने के लिए ही इंडियन फोर्थ एस्टेट पत्रिका के अंक में एसिड अटैक जैसे संवेदनशील मुद्दे को उठाया गया है। इंडियन फोर्थ एस्टेट की संपादक और युवा व नवोदित पत्रकार स्तुति बाफना के मुताबिक, यह पत्रिका आवाजहीनों की आवाज बनेगी।

उन्होंने बताया कि इसमें पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों सादिक खान, पुलकित शर्मा, शिवम पाठक, डेजी शर्मा, लवीना ज्ञामालानी, वैशाली सिंह, प्रिया यादव, भाविक जैन और रिषब जैन ने सहयोग किया है। निर्भया की मां, पद्म पुरस्कार विजेता और डॉग मैन पर भी हैं लेख

उन्होंने बताया कि पत्रिका के इस अंक में एसिड अटैक पीड़िता रुपा सा, प्रमोदिनी राउल, कविता और जीतू के अनुभव को शामिल किया है। इसके साथ ही, लेखिका मेघना पंत, पत्रकार कामिनी आर्य, रुपशी सिंह और शिक्षाविद सुमन शर्मा, आलोक दीक्षित वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डा. विवेक सक्सेना से बातचीत को भी प्रकाशित किया है। उन्होंने बताया कि निर्भया की मां, ट्रांसजेंडर धनंजय चौहान, पद्म श्री पुरस्कार विजेता प्रेमलता अग्रवाल, डॉग मैन वीरेन शर्मा, मिसेज एशिया इंटरनेशनल डा. अनुपमा सोनी के लेख को भी पत्रिका में स्थान दिया है। पत्रिका के विषय से जुड़ी शॉर्ट फिल्म कसूर का भी किया निर्माण

पत्रिका का डिजिटली प्रकाशन करने से पहले स्तुति बाफना ने इस विषय पर एक शॉर्ट फिल्म का भी निर्माण किया है। उन्होंने बताया कि कसूर नामक इस शॉर्ट फिल्म के निर्माण के दौरान सरकार की ओर से जारी सभी प्रकार के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है। फिल्म बनाने में न सिर्फ परिवार में माता-पिता व भाई ने बल्कि दोस्तों, सहपाठियों और कॉलोनी के लोगों ने भी सहयोग किया है। इसमें अभिनय सहपाठी मौलिका जैन और सादिक खान ने किया है। स्कूल व जेल में मीडिया साक्षरता को लेकर पहले भी किया है काम

इंडियन फोर्थ एस्टेट की संपादक स्तुति बाफना ने बताया कि उन्होंने पहले भी मीडिया साक्षरता को लेकर काम किया है। पत्रिका का यह अंक भी जन - जागरुकता को लेकर है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले अजमेर स्थित एक स्कूल में दिव्यांग बच्चों के बीच में उन्होंने दो पेज के अखबार को प्रकाशित कर मीडिया साक्षरता और लोगों को जागरुक करने का प्रयास शुरु किया था। इसके बाद अलीगढ़ स्थित जिला कारागार में भी उन्होंने सजायाफ्ता कैदियों के बीच में जाकर बात-चीत की थी और मीडिया साक्षरता पर कार्यशाला का आयोजन किया था।

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