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बीजेपी के लिए लव-जिहाद पर कानून बनाना जरूरी लेकिन कांग्रेस के लिए नहीं, जानिए क्यों ?

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देश में लव जिहाद पर बहस बढ़ती जा रहीं है, इसी के चलते अब देश के राजनीतिक दलों की लव जिहाद पर सोच और विचार भी खुलकर सामने आ रही है, हालाकि कॅंद्र सरकार इस मामले में अभी भी चुप है लेकिन बीजेपी की जिन राज्यों में सरकारें है वहां लव जिहाद पर कानून बनना शुरू हो गया।

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक या गुजरात सभी ने इस पर कानून बनाने के लिए मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया है। यूपी के गृह विभाग ने लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित कानून का मसौदा तैयार किया है। मध्य प्रदेश सरकार ने अपने प्रस्तावित बिल में पांच साल की सजा का प्रावधान किया है। देश के अन्य राज्य भी इस तरह का कानून बनाने की तैयारी कर रहे हैं।

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कांग्रेस शासित राज्य और अन्य इस तरह के कानून लाने का विरोध कर रहे हैं। राजनीतिक चर्चाओं में, लव जिहाद नामक एक मामले को अवैध रूप से धर्मांतरण माना जाएगा और इस तरह के मामले में दोषी पाए जाने पर 5 से 10 साल की सजा मिल सकती है।
लव जिहाद नामक मामलों में छेड़खानी करना, झूठ बोलना या जबरन धर्म परिवर्तन करके अंतर-धार्मिक विवाह करना ये सभी घटनाएं इस कानून में शामिल हैं। प्रस्तावित कानून सभी धर्मों के लोगों पर समान रूप से लागू होगा। हाल ही में, उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में विवाह को केवल अवैध करार दिया। प्रियांशी उर्फ समरीन और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना स्वीकार्य नहीं है। विवाह के लिए धर्म परिवर्तन आवश्यक नहीं है। इस फैसले के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की थी कि सरकार एक प्रभावी कानून बनाएगी।
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इस कानून के माध्यम से, सरकार उन लोगों के साथ सख्ती से पेश आएगी जो अपना नाम, पहचान और अपना धर्म छिपाकर बहन-बेटियों के साथ लव जिहाद का खेल खेलते हैं। मध्यप्रदेश के लव जिहाद कानून में क्या होगा
मध्य प्रदेश सरकार के नए कानून (एमपी फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2020) का मसौदा लगभग तैयार है। इसमें ताजे मामलों के पकड़े जाने पर पांच साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन अगर ऐसा किया गया है तो ऐसे विवाहों को रद्द करने का अधिकार भी पारिवारिक न्यायालय को दिया जा रहा है।
लेकिन इसमें किसी रिश्तेदार को पहले शिकायत करनी चाहिए कि यह प्रकरण और विवाह लव जिहाद से जुड़ा मुद्दा है। इसके बाद, अंतिम निर्णय परिवार अदालत द्वारा किया जाएगा।
फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। बताया जा रहा है कि जल्द ही मसौदे को अंतिम रूप देकर परीक्षण के लिए विधि विभाग को भेज दिया जाएगा। इसके बाद, वरिष्ठ सचिव की समिति इस पर चर्चा करेगी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लव जिहाद पर क्या कहा वहीं कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान के मुख्यमंत्री ने लव जिहाद को व्यक्तिगत मामला बताया और कहा कि लव जिहाद शब्द बीजेपी के द्वारा गढ़ा गया है। बीजेपी इस पर वोंट बैंक की राजनीति कर रही है। गहलोत ने कहा कि लव जिहाद शब्द भाजपा द्वारा देश को बांटने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए गढ़ा गया है। विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, इस पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाना पूरी तरह से असंवैधानिक है। लव में जिहाद का कोई स्थान नहीं है। लव जिहाद पर कानून बनाना सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने जैसा कदम
अशोक गहलोत ने कहा, "वे देश में एक ऐसा माहौल बना रहे हैं जहां वयस्कों की सहमति राज्य सरकार की दया पर निर्भर करेगी। विवाह एक व्यक्तिगत निर्णय है और वे इस पर एक जांच डाल रहे हैं, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता को छीनने जैसा है।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने, सामाजिक तनाव को बढ़ाने के लिए लगता है और यह सरकार के संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है जो किसी भी आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करता है"

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