Post Top Ad

बुर्ज खलीफा : 6 साल में कैसे खड़ा हो गया बुर्ज खलीफा का ढांचा, जानिए 828 मीटर ऊंची इमारत का इतिहास

Share This


दुबई में स्थित दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा के बारे में तो आप जानते ही होंगे, 828 मीटर ऊंची इस इमारत को बनाने में करीब 1.5 अरब डॉलर का खर्च आया था। इस भवन में न केवल पैसा, बल्कि 12000 कारीगरों ने इस परियोजना को सफल बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की, लेकिन इतने बड़े प्रोजेक्ट को सफल बनाने में वहां के इंजीनियरों और श्रमिकों को क्या मुश्किलें आईं और उन कठिनाइयों को कैसे दूर किया जाए। ऐसा करके उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा का निर्माण पूरा किया।

बुर्ज खलीफा का ढांचा (Structure)

इस बिल्डिंग को बनाने के लिए इंजीनियर के पास सिर्फ 6 साल थे, जिसमें उसे यह पूरी बिल्डिंग बनानी थी, बुर्ज खलीफा का निर्माण 6 जनवरी 2004 को शुरू हुआ, दुबई के प्रॉपर्टी डेवलपर एमआर ने बुर्ज खलीफा को डिजाइन किया। अमेरिका के आर्किटेक्चर स्किडमोर ओविंग्स एंड मेरिल को जिम्मेदारी दी गई थी, जिन्होंने इससे पहले कई बड़ी इमारतों के ढांचे तैयार किए थे, लेकिन इतनी बड़ी इमारत की संरचना तैयार करने में वे भी पीछे रह गए।

लेकिन इतनी बड़ी इमारत का स्ट्रक्चर तैयार करने में उनके भी हाथ पांव फूल गए, जिसके बाद दिन रात एक कर के इन्होंने बुर्ज खलीफा के स्ट्रक्चर को तैयार कर लिया, और वह था buttress स्ट्रक्चर जो पहली बार बुर्ज खलीफा के लिए इस्तेमाल किया गया। 

 उसी फर्म के एक आर्किटेक्ट एड्रियन स्मिथ को बुर्ज खलीफा को डिजाइन करने का काम दिया गया था। लेकिन इमारत को खुद डिजाइन करने में 3 साल लगने वाले थे और बाकी 3 साल में पूरी बिल्डिंग तैयार करना संभव नहीं था, इसलिए बुर्ज खलीफा की खुदाई का काम शुरू किया गया और साथ ही डिजाइन बनाने का काम भी जारी रहा। .

लेकिन जब बुर्ज खलीफा की संरचना के लिए खुदाई की जा रही थी, तब एक और परेशानी खड़ी हो गई क्योंकि बुर्ज खलीफा के ढांचे के लिए जिस जमीन पर खुदाई की जा रही थी, वहां की जमीन में सिर्फ छोटे छोटे पत्थर और रेतीली जमीन थी, जो एक बड़ी बिल्डिंग की बुनियाद रखने के लिए बिल्कुल सही नहीं है। लेकिन साइंस के एक फार्मूले फिक्शन ने उनकी यह समस्या सुलझा दी बता देगी बुर्ज खलीफा का स्ट्रक्चर और वजन जमीन और पाइप कि साइट्स पर बनी ग्रीप पर टिकी हुई है।

इंजीनियरों ने इस इमारत के नीचे 50 मीटर की गहराई तक 192 बहुत मजबूत पाइल्स डाले हैं, क्योंकि इस संरचना को इस इमारत के 500000 टन से अधिक भार को संभालना है।

बुर्ज खलीफा का ढांचा तैयार होने के बाद इसके निर्माण की बारी आय़ी। बुर्ज खलीफा के निर्माण का काम दक्षिण कोरिया की एक जानी-मानी कंपनी सैमसंग सी एंड टी कॉरपोरेशन को दिया गया था, जो पहले से ही तायइपे 101 जैसे कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर चुकी थी।  सैमसंग सी एंड टी कॉर्पोरेशन को दिया गया काम इतना बड़ा था कि इसे बेल्जियम की बेसिक्स और यूएई की मदद लेनी पड़ी, जिसके बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया और इस इमारत को जल्द से जल्द बनाने के लिए wingfost कंक्रीट से जम्प फार्मिंग प्रोसेस का इस्तेमाल किया गया

इस प्रक्रिया में बेस में मोल्ड बनाकर स्टील वीगफोर्समेंट वाले हिस्से को टेंपर्ड किया जाता है और उसमें कंक्रीट भर दी जाती है। और जब कंक्रीट सेट हो जाती है, तो मोल्ड को ऊपर की मंजिल बनाने के लिए उठा लिया जाता है, और उसी प्रक्रिया को दोहराया जाता है। इस प्रक्रिया से इमारत के एक तरफ निर्माण दल एक के बाद एक मंजिलों का निर्माण करता रहा। लेकिन हाइट बढ़ने के बाद एक और नई मुसीबत खड़ी हो गई, समस्या यह थी कि जो कंक्रीट ऊपर के सांचों में डालने के लिए बनाई जा रही थी, वह अधिक गर्मी और अधिक ऊंचाई के कारण ऊपर जाते ही सूख गई।

इसके लिए टीम ने एक ऐसा कंक्रीट बनाया जो इमारत के शीर्ष तक पहुंचने तक तरल रहेगा और उस कंक्रीट मिश्रण को इमारत के शीर्ष तक जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए निर्माण टीम ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली 3 कंक्रीट पंपों का इस्तेमाल किया। जिसने इस काम को अंजाम दिया।

बुर्ज खलीफा का कंस्ट्रक्शन (निर्माण)

इमारत की सभी मंजिलों का निर्माण किया गया लेकिन उसके शीशे के पैनल लगाए जाने बाकी थे, आपको बता दें कि बुर्ज खलीफा पर कुल 24000 क्लास पैनल लगने वाले थे। लेकिन बुर्ज खलीफा पर लगने वाले कांच के पैनल लगाने से बुर्ज खलीफा के अंदर का तापमान लगभग 100 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिसके अंदर इंसानों का रहना संभव नहीं है। तो इंजीनियरों के सामने एक और नई मुश्किल आ गई। और इस मुश्किल से निकलने में 18 महीने लग गए और उसके बाद  Jone Zearfa नाम के एक इंजीनियर ने इस मुश्किल से निकलने का उपाय बताया लेकिन वो उपाय बहुत महंगा था।

जोन ने एक गिलास बनाया जो सूरज से यूवी किरण को वापस परावर्तित करता था। जिससे अंदर का तापमान सामान्य बना रहा। लेकिन इस एक क्लास पैनल की कीमत 2000 डॉलर थी और बुर्ज खलीफा में 24000 क्लास पैनल लगने वाले थे जिससे यह रकम 3 से 4 अरब के बीच पहुंच गई, जिसके बाद महज 4 महीने में 24000 ऐसे ग्लास पैनल बन गए।

अब बुर्ज खलीफा का काम लगभग पूरा हो चुका था, लेकिन इसकी ऊपरी मंजिल का अंत अभी भी अधूरा था, जहां एक स्टील का पाइप लगाया जाना था, जिसकी लंबाई 136 मीटर थी। और वजन 350 टन था। लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल यह थी कि इतने बड़े और भारी पाइप को इतना ऊंचा कैसे लगाया जाए क्योंकि दुनिया में ऐसी कोई क्रेन नहीं थी जो इतनी ऊंचाई पर इतना पाइप रख सके और न ही कोई हेलीकॉप्टर 350 टन वजन उठा सके लेकिन यह काम करना जरूरी था।

तब एक इंजीनियर ने एक अद्भुत उपाय बताया, उसने कहा कि इस पाइप को अलग-अलग टुकड़ों में उठाकर भवन के अंदर ले जाकर जोड़ा जाए और यह तरीका सफल रहा। जिसके बाद जैकिंक की मदद से इस पाइप को सही स्थिति में ले जाया गया।  इस पाइप के लग जाने के बाद इस भवन का काम लगभग पूरा हो गया था।

 दुबई का ये अजूबा लोगों को काफी पसंद आया

लेकिन बुर्ज खलीफा के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि जब 2004 में इसका डिजाइन बनाया जा रहा था, तब लोगों को यह भी नहीं पता था कि इसका पूरा डिजाइन कैसा होगा क्योंकि निर्माण कार्य शुरू होने के बाद भी इसके डिजाइन पर काम किया जा रहा था। और काम शुरू होने के 3 साल के अंदर ही इसने रिकॉर्ड बनाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी, 2007 में इसने सियर्स टॉवर का बिल्डिंग विथ द मोस्ट फ्लोर्स का रिकॉर्ड तोड़ कर अपने नाम किया।

7 अप्रैल 2008 को बुर्ज खलीफा 629 मीटर की ऊंचाई के साथ दुनिया का टॉलेस्ट मैन मेड स्ट्रक्चर बन गया, और 636 मीटर की ऊंचाई के बाद MR ने ये ऐलान किया की इसके पूरे होने तक इसकी ऊंचाई को गुप्त रखा जाएगा पहले बुर्ज खलीफा की ऊंचाई ताइपे 101 की ऊंचाई से कुछ ही मीटर अधिक थी, लेकिन इसकी संरचना इतनी मजबूत थी कि इसकी ऊंचाई लगभग 300 मीटर तक बढ़ा दी गई थी।

इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अबू धाबी के राष्ट्रपति खलीफा बिन जायद की मदद लेनी पड़ी और उनकी आर्थिक मदद से यह काम आगे बढ़ सका, आपको बता दें कि पहले इस टावर का नाम बुर्ज टावर था लेकिन जब राष्ट्रपति की मदद से इसे बनाया गया तो उनके सम्मान में इस इमारत का नाम बुर्ज खलीफा कर दिया गया और अक्टूबर 2009 में इस इमारत के काम को पूरा करने के बाद 4 जनवरी 2010 को इसकी ओपनिंग की गई और इस मौके पर लोगों ने पहली बार दुबई के इस अजूबे को देखा और लोगों ने इसे काफी पसंद भी किया।

रोचक तथ्य

  • बुर्ज खलीफा के निर्माण में कुल 12000 श्रमिकों ने मिलकर काम किया और इसे बनाने में 6 साल का समय लगा।
  • बुर्ज खलीफा को बनाने में 1.5 अरब डॉलर यानी 114 अरब रुपये का खर्च आया था।
  • बुर्ज खलीफा की ऊंचाई 828 मीटर यानी 2717 फीट है, जो तीन एफिल टावर के बराबर है। और बुर्ज खलीफा की ऊंचाई इतनी अधिक है कि आप इसे 100 किलोमीटर दूर से भी देख सकते हैं।
  • बुर्ज खलीफा में कुल 24000 विंडो ग्लास पैनल हैं।
  • आपको बता दें कि बुर्ज खलीफा में कुल 163 फ्लोर हैं और दुनिया का सबसे ऊंचा रेस्टोरेंट भी बुर्ज खलीफा में मौजूद है जो 122वें फ्लोर पर मौजूद है।
  • 2012 तक इस इमारत का लगभग 80% लोगों द्वारा उपयोग के लिए लिया गया था, और इस इमारत में दुनिया का सबसे तेज़ लिफ्ट भी स्थापित किया गया है।
  • बुर्ज खलीफा को बनाने के लिए 1 लाख हाथियों के बराबर कंक्रीट और A380 हवाई जहाज के बराबर एल्यूमीनियम का इस्तेमाल किया गया था।




 

                           

                                 Order Now (Kande/Upla)....Click :  https://bit.ly/3eWKt1V

 Follow Us On :

Follow Our Facebook & Twitter Page : (The Found) Facebook Twitter

Subscribe to Youtube Channel: The Found (Youtube)

Join our Telegram Channel: The Found (Telegram)

Join our Whatsapp Group: The Found (Whatsapp)

Follow Our Pinterest Page : The Found (Pinterest)



LifeStyle  

History




    Article :

                                                        No comments:

                                                        Post Bottom Ad