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सचिन पायलट की अशोक गहलोत से क्यों नहीं बनती ? प्रियंका गांधी फिर समझाने में लगी

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18 जून को राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अजय माकन ने दिल्ली में बताया कि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और स्वयं उनसे बात बीच होती रहती है। चूंकि प्रियंका गांधी पिछले 10 दिनों से दिल्ली से बाहर है, इसलिए पायलट की मुलाकात नहीं हो सकी। यह सही है कि मुलाकात के लिए पायलट ने प्रियंका गांधी से समय नहीं मांगा। अजय माकन ने पायलट की जिन नेताओं से बातचीत होने की बात कही उनमें राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम नहीं था।

जाहिर है कि सचिन पायलट की बात इन दोनों नेताओं से नहीं हो रही है। अब सवाल उठता है कि जब पायलट की बात राहुल और गहलोत से नहीं हो रही है, तब प्रियंका गांधी, वेणुगोपाल और अजय माकन से संवाद कितना मायने रखता है। अजय माकन दिल्ली में बैठ कर कुछ भी कहे, लेकिन राजस्थान में पायलट और उनके समर्थक विधायकों का असंतोष कम नहीं हुआ है। माकन ने 18 जून को सुबह 11 बजे एक न्यूज चैनल से कहा कि विधायकों को अपनी बात संगठन के प्लेटफार्म पर ही रखनी चाहिए।

मीडिया में आकर सरकार और संगठन को लेकर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। माकन ने यह भी कहा कि प्रदेश में जब मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां होंगी तब विधायकों और कार्यकर्ताओं के अनुशासन का ख्याल भी रखा जाएगा। यानी जो विधायक और कार्यकर्ता पार्टी का अनुशासन तोड़ेंगे उन्हें कोई लाभ नहीं मिलेगा। माकन की इस नसीहत के मात्र दो घंटे बाद पायलट समर्थक विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

सोलंकी ने एक बार फिर अशोक गहलोत की सरकार पर जमकर हमला बोला। सोलंकी ने कहा कि एससी एसटी वर्ग के लोगों की कांग्रेस सरकार में कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इससे आम लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी है। सोलंकी ने कहा कि मैंने पूर्व में जो मुद्दे उठाए उन पर आज भी कायम हूं। मैं सचिन पायलट के साथ था और भविष्य में भी रहूंगा।

पायलट की आलोचना करने वाले लोगों को सोलंकी ने कहा पायलट कांग्रेस में रह कर ही संघर्ष करेंगे। कुछ लोग चाहते हैं कि पायलट को कांग्रेस से बाहर कर दिया जाए, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा। संपूर्ण राजस्थान में पायलट की लोकप्रियता से कांग्रेस हाईकमान भी अवगत है।

सोलंकी ने कहा कि 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 200 में से मात्र 21 सीटें मिली थी, तब सचिन पायलट के नेतृत्व में ही कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भाजपा शासन में पांच वर्ष तक संघर्ष किया और 2018 के चुनाव में कांग्रेस के 100 विधायक चुने गए। आज कांग्रेस की सरकार सचिन पायलट की मेहनत से ही बनी हुई है।


                           

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