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अपनी फजीहत के लिए राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र खुद जिम्मेदार?

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राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने सचिव को निर्देश दिए हैं कि जिन लोगों ने राजभवन का दुरुपयोग कर पुस्तकों को जबरन बेचा है या बेचने का प्रयास किया है उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाए। राज्यपाल के निर्देश पर सचिव क्या कार्यवाही करेंगे यह तो समय ही बताएगा। लेकिन स्वयं के जीवन पर आधारित पुस्तक 'निमित्त मात्र हूं, मैं का विमोचन राजभवन में करवाकर मिश्र ने स्वयं अपने फजीहत करवाई है।

क्या उन पेशेवर प्रकाशकों और लेखकों को मिश्र जैसा राजनीतिज्ञ नहीं पहचान सका जिन्होंने अपने स्वार्थों की खातिर राजभवन में समारोह आयोजित करवाया? एक जुलाई को जब इस पुस्तक का विमोचन हुआ तो राजभवन में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला और विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी शामिल थे।

इसके साथ ही प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों के कुलपति भी समारोह में उपस्थित रहे। समारोह के बाद जब कुलपति राजभवन से रवाना हुए तब सरकारी वाहनों में राज्यपाल पर लिखी पुस्तक की 19-19 प्रतियां रखवा दी गई, इसके साथ ही 68 हजार रुपए का बिल भी थमा दिया गया। इसी मुद्दे की जांच राज्यपाल करवाना चाहते हैं।

सवाल उठता है कि जब राजभवन में पुस्तकों को जबरन बेचे जाने का प्रयास हुआ था, तब राज्यपाल को जानकारी क्यों नहीं मिली? क्या ऐसा कृत्य राज्यपाल की जानकारी के बगैर किया गया। यदि ऐसा है तो फिर मिश्र के राज्यपाल होने पर सवाल भी उठता है। मिश्र के कार्यकाल में राजभवन से पुस्तकें बेचे जाने का पहला मामला नहीं है। 

गत वर्ष भी राजभवन की ओर से ही 55 लाख रुपए की किताबें प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों में भिजवाई गई थी। भले ही मिश्र अब एक जुलाई वाले मामले की जांच करवा रहे हों, लेकिन गत वर्ष वाले प्रकरण की जांच कौन करवाए? सब जानते हैं कि एक जुलाई को विमोचन समारोह में सीएम गहलोत और विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने अपने संबोधन से राज्यपाल मिश्र के समक्ष असहज स्थित उत्पन्न कर दी थी।

सीएम गहलोत ने पुस्तक के शीर्षक को घमंड वाला बताया तो जोशी ने राज्यपाल मिश्र के संघ की पृष्ठभूमि होने पर सवाल उठाए। मिश्र की अति महत्वकांक्षा की वजह से जोशी को राजभवन में ही संघ के खिलाफ बोलने का अवसर मिला। स्वयं पर ही लिखी पुस्तक के विमोचन समारोह में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के विधायक को बुलाए जाने पर अब अनेक सवाल उठ रहे हैं। इसको लेकर राज्यपाल की भूमिका भी संदेह के घेरे में बताई जा रही है।

 चूंकि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है, इसलिए कलराज मिश्र का इतनी जल्दी पीछा छूटने वाला नहीं है। जिस तरह से राजभवन की गतिविधियों को लेकर खबरें आ रही है उससे जाहिर है कि राजभवन सरकार के निशाने पर है।

 

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